Hakim Khan

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लेखनी प्रतियोगिता -09-Jun-2022

स्वरचित
विषय:गर्मी से बदहाल

हाय रे गर्मी! हाय रे गर्मी!
बड़ी बेचैनी होती है।
कितना भी पानी पिये,
प्यास नहीं पर बुझती है।।

गर्म हवा से बचना है,
सुबह सवेरे निकलुगा।
ठंड हवा जब लगी बदन में,
नींद सा आने लगता है।।

गर्म हवा के झोंको से  ,
चेहरा जलने लगता है।
पहन मुखौटा बचने की,
फिर भी उमस सा लगता है।

हद हुई जब गर्मी की,
बिजली जाने लगती है।
पंखे कुलर फ्रीज सभी बंद पड़े है,
गर्मी से अब जान निकलती है।

हाय रे गर्मी! हाय रे गर्मी!
बड़ी बेचैनी होती है।

✍️ हकीम खान


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7 Comments

Gunjan Kamal

10-Jun-2022 04:12 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Hakim Khan

15-Jun-2022 09:18 PM

Thanks

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Sona shayari

10-Jun-2022 01:05 PM

Waah

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Swati chourasia

10-Jun-2022 07:02 AM

Very nice

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Hakim Khan

15-Jun-2022 09:17 PM

Thank you so much

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